असम और त्रिपुरा के लिए ₹4,250 करोड़ के विशेष विकास पैकेज को कैबिनेट की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने असम और त्रिपुरा में विशेष विकास पैकेज (SDPs) के तहत चार नए घटकों को मंजूरी दी है, जिनका कुल केंद्रीय व्यय ₹4,250 करोड़ होगा। इस पहल का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से वंचित क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देना और शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देना है।

पैकेज का विवरण

  • असम के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लिए ₹500 करोड़ — 2022 में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoS) के अनुसार।
  • उत्तर कछार हिल्स स्वायत्त परिषद क्षेत्र के लिए ₹500 करोड़ — 2023 के MoS के तहत, जिसमें डिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA) और डिमासा पीपल्स सुप्रीम काउंसिल (DPSC) समुदाय शामिल हैं।
  • ULFA समूहों के लिए ₹3,000 करोड़ — 2023 में हुए MoS के अनुसार राज्यव्यापी बुनियादी ढांचा विकास हेतु।
  • त्रिपुरा के जनजातीय समुदायों के लिए ₹250 करोड़ — 2024 के MoS के तहत, जिसमें नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ ट्विप्रा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) शामिल हैं।

वित्तीय ढांचा

कुल परियोजना लागत ₹7,250 करोड़ है, जिसमें से ₹4,250 करोड़ केंद्र सरकार द्वारा और शेष ₹3,000 करोड़ असम सरकार द्वारा दिए जाएंगे।

  • असम के लिए ₹4,000 करोड़ — 2025-26 से 2029-30 तक पांच वर्षों में व्यय।
  • त्रिपुरा के लिए ₹250 करोड़ — 2025-26 से 2028-29 तक चार वर्षों में व्यय।

संभावित प्रभाव और लाभ

  • रोज़गार सृजन — बुनियादी ढांचा और आजीविका परियोजनाओं से युवाओं और महिलाओं को नए अवसर मिलेंगे।
  • कौशल विकास एवं उद्यमिता — स्थानीय उद्यम और आय-सृजन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
  • पर्यटन में वृद्धि — बुनियादी ढांचे में सुधार से पर्यटक आवागमन बढ़ेगा, जिससे स्थानीय रोजगार को बल मिलेगा।
  • शांति और स्थिरता — प्रभावित समुदायों का मुख्यधारा में सम्मिलन होगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • SDP एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है, जिसका उद्देश्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी लाना है।
  • MoS (Memorandum of Settlement) — सरकार और विभिन्न जातीय समूहों के बीच हुए समझौते, जिनमें विकास, पुनर्वास और शांति बहाली पर सहमति होती है।
  • पहले भी बोडो और करबी समुदायों के लिए MoS-आधारित पैकेज से सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
  • ULFA (United Liberation Front of Asom) असम का एक प्रमुख उग्रवादी संगठन रहा है, जिसके साथ 2023 में शांति समझौता हुआ।

यह मंजूरी न केवल विकास के नए आयाम खोलेगी, बल्कि असम और त्रिपुरा के हाशिये पर बसे समुदायों को शांति, समावेशी विकास और बेहतर जीवन स्तर की दिशा में आगे बढ़ाएगी।

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