अवैध घुसपैठ: भारत की आंतरिक सुरक्षा और संप्रभुता पर सबसे बड़ा खतरा

अवैध घुसपैठ: भारत की आंतरिक सुरक्षा और संप्रभुता पर सबसे बड़ा खतरा

15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित करते हुए एक गहरी चेतावनी दी — “अवैध घुसपैठिए हमारे युवाओं की रोज़ी-रोटी छीन रहे हैं, हमारी बेटियों को निशाना बना रहे हैं, और मासूम आदिवासियों की जमीन पर कब्ज़ा कर रहे हैं।” यह बयान केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर संकेत है। अवैध घुसपैठ अब केवल सीमा सुरक्षा का मुद्दा नहीं, बल्कि भारत के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।

बदलते आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य

2000 के दशक की शुरुआत में भारत की मुख्य आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ थीं:

  • कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद
  • नक्सलवाद (LWE) – जो 2009 में 182 जिलों में सक्रिय था, अब 2025 तक सिर्फ 18 जिलों में सीमित रह गया है।
  • पूर्वोत्तर का उग्रवाद – 90% से अधिक गिरावट आई है।

इन समस्याओं पर काबू पाने के बाद, आज अवैध घुसपैठ भारत की सबसे गंभीर आंतरिक चुनौती बनकर उभरी है।

सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव

1. सामाजिक असंतुलनबांग्लादेश और म्यांमार से हो रही घुसपैठ ने असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बदल दिया है। स्थानीय समुदायों में यह भावना बढ़ रही है कि घुसपैठिए सरकारी योजनाओं और राजनीतिक संरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। इससे जातीय अस्मिता, भाषा और भूमि को लेकर तनाव बढ़ रहा है।
2. राजनीतिक स्वार्थ और वोट बैंक राजनीतिकई राजनीतिक दलों पर फर्जी दस्तावेज बनवाने, सरकारी भूमि पर बसाने और पहचान छुपाने में सहायता करने का आरोप है। यह तात्कालिक राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता है। इससे आम नागरिक और राज्य के बीच अविश्वास गहराता है।
3. आर्थिक बोझ और अवैध गतिविधियाँघुसपैठिए कृषि, निर्माण और घरेलू मजदूरी क्षेत्रों में सस्ते श्रमिक के रूप में प्रवेश करते हैं, जिससे स्थानीय मजदूरों की नौकरियाँ प्रभावित होती हैं। इसके साथ ही:

  • गायों की तस्करी
  • नकली मुद्रा और ड्रग्स व्यापार
  • नार्को-आतंकवाद (विशेष रूप से पंजाब में)
  • अनौपचारिक/ग्रे इकोनॉमी में सक्रियता

ये सभी गतिविधियाँ आधिकारिक अर्थव्यवस्था को कमजोर करती हैं और आतंकी नेटवर्कों को मजबूत करती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 2025 में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 18 रह गई है, जबकि 2009 में यह 182 थी।
  • पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद में 90% से अधिक की कमी दर्ज की गई है।
  • Demographic Security Mission की घोषणा 15 अगस्त 2025 को की गई।
  • असम आंदोलन (1979–85) और NRC/CAA विवाद आज भी जनसंख्या असंतुलन पर देश की चिंता को दर्शाते हैं।
  • मल्लदा (पश्चिम बंगाल) के एक 500 मीटर क्षेत्र में पूर्णतः अवैध बांग्लादेशी कब्ज़ा दर्ज किया गया था।
Originally written on September 13, 2025 and last modified on September 13, 2025.

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