अल्बानिया से सबक: भारत में एआई आधारित प्रशासन की अनिवार्यता

11 सितंबर 2025 को अल्बानिया ने ऐसा निर्णय लिया जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इस छोटे से देश ने एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रणाली ‘Diell’ को अपने सार्वजनिक खरीद मंत्रालय का मंत्री नियुक्त कर दिया। केवल 48 घंटों में Diell ने 17 संदिग्ध सरकारी अनुबंधों की पहचान की, जिनमें से तीन को रद्द कर दिया और सभी खरीद डेटा को रियल टाइम में सार्वजनिक कर दिया। यह कोई विज्ञान-कथा नहीं थी, बल्कि शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही की एक नई परिभाषा थी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में एआई का प्रभावी उपयोग
अल्बानिया का प्रयोग अनोखा अवश्य है, लेकिन अकेला नहीं। दुनिया भर में कई देश शासन में एआई का सफल प्रयोग कर रहे हैं। सिंगापुर का चैटबॉट ‘Ask Jamie’ सालाना 50 लाख से अधिक जन प्रश्नों का उत्तर देता है। एस्टोनिया डिजिटल पहचान, ई-स्वास्थ्य और ई-वोटिंग में अग्रणी है। कनाडा में कर जांच में एआई का उपयोग कर 35% अधिक कर धोखाधड़ी पकड़ी जाती है। जापान में एआई भूकंप पूर्वानुमान और राहत कार्यों में जीवन रक्षक भूमिका निभाता है। ब्राज़ील, दक्षिण कोरिया, दुबई और अमेरिका जैसे देश भी एआई के माध्यम से ट्रैफिक नियंत्रण, कचरा प्रबंधन, सड़क रखरखाव और धोखाधड़ी जांच जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त सुधार कर रहे हैं।
भारत की वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ
भारत ने डिजिटल इंडिया, आधार और GSTN जैसे माध्यमों से डिजिटल प्रशासन की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, परंतु एआई का समेकित और बड़े पैमाने पर उपयोग अभी भी प्रारंभिक स्तर पर है। अधिकांश परियोजनाएं पायलट चरण से आगे नहीं बढ़ पाईं। चुनौती तकनीकी क्षमता की नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और समग्र रणनीति की है।
सार्वजनिक खरीद में सुधार की आवश्यकता
भारत में सार्वजनिक खरीद प्रणाली भ्रष्टाचार और देरी के लिए कुख्यात है। अरबों रुपये अनियमित अनुबंधों, बढ़ी हुई लागतों और प्रशासनिक खामियों में बर्बाद होते हैं। Diell जैसे एआई सिस्टम यदि भारत में लागू किए जाएं, तो नियम-आधारित निगरानी से संदिग्ध सौदों की स्वतः पहचान हो सकती है, और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।
पारदर्शिता और जन भागीदारी
अल्बानिया ने अपने खरीद डेटा को एक इंटरैक्टिव डैशबोर्ड पर सार्वजनिक किया, जिससे नागरिक, मीडिया और सिविल सोसायटी भी निगरानी में भागीदार बन सकें। भारत में भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जहां डेटा केवल सरकारी पोर्टलों में दफन न होकर जनता के लिए सुलभ हो।
लागत, दक्षता और जवाबदेही
भारत की विशाल नौकरशाही का संचालन खर्च हजारों करोड़ रुपये सालाना है। एआई आधारित सिस्टम एक बार बनने के बाद अपेक्षाकृत कम लागत पर चलते हैं और लगातार काम करते हैं। कर संग्रह, सब्सिडी वितरण, आधार-आधारित सेवाएं — सब कुछ तेज़, सटीक और पारदर्शी हो सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अल्बानिया दुनिया का पहला देश है जिसने AI को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी।
- कनाडा में AI आधारित कर ऑडिट से धोखाधड़ी की पहचान में 35% वृद्धि हुई है।
- जापान में AI भूकंप की भविष्यवाणी और बचाव कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- दक्षिण कोरिया ने AI के माध्यम से कचरा प्रबंधन की लागत में 43% की कमी की है।