अलीवर्दी खान, बंगाल का नवाब

अलीवर्दी खान, बंगाल का नवाब

गिरिया के युद्ध में सरफराज खान को हराकर अलीवर्दी खान सत्ता में आया। उसने नासिरी राजवंश को उखाड़ फेंका था। उसने 1740 से 1756 तक शासन किया। वह 10 मई 1671 को जन्मा था और उसका नाम मिर्जा मुहम्मद अली था। वह शाह कुली खान मिर्जा मुहम्मद मदनी का पुत्र था। अफशर वंश का संस्थापक अलीवर्दी खाँ था। अलीवर्दी खान के पिता मिर्जा मुहम्मद मदनी ने मुगल सम्राट औरंगजेब के पुत्र आजम शाह के कर्मचारी के रूप में सेवा की। आजम शाह की मृत्यु के बाद उसका जीवन गरीबी में कटा। शुजाउद्दीन मोहम्मद खान ने उसे अलीवर्दी की उपाधि से सम्मानित किया था। अलीवर्दी खान उसे राज्य के प्रशासनिक और वित्तीय मामलों पर सलाह देता था। तब उसे 1733 में बिहार के डिप्टी नाज़िम के रूप में चुना गया था। वर्ष 1740 में उसने गिरिया की लड़ाई में सरफराज खान को हराया और बंगाल के नवाब बना। उसे मुगल सम्राट मुहम्मद शाह द्वारा मान्यता दी गई थी और उन्हें शुजा-उल-मुल्क और हुसाम-उद-दौला जैसी कई उपाधियों से नवाजा गया था। वह एक सक्षम प्रशासक था और दुश्मनों से अपने क्षेत्र की रक्षा करता था। मराठों ने उसके समय बहुत बार आक्रमण किए। उसके शासन के तहत वर्ष 1746 और 1750 में राघोजी भोंसले द्वारा बंगाल पर नागपुर साम्राज्य द्वारा दो बार हमला किया गया था। उसने 1951 में मराठों के साथ के लिए एक शांति संधि पर हस्ताक्षर किए। अलीवर्दी खान ने अफगान आक्रमणों के खिलाफ एक बहादुर लड़ाई लड़ी। अलीवर्दी खान ने अपने पोते सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी नामित किया। 1756 में अलीवर्दी की मृत्यु हो गई और सिराजुद्दौला उसके बाद अगला शासक बना।

Originally written on December 20, 2021 and last modified on December 20, 2021.

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