अरुण-3 जलविद्युत परियोजना की समीक्षा: भारत-नेपाल स्वच्छ ऊर्जा सहयोग का मजबूत कदम

अरुण-3 जलविद्युत परियोजना की समीक्षा: भारत-नेपाल स्वच्छ ऊर्जा सहयोग का मजबूत कदम

भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा कंपनी SJVN लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने नेपाल में निर्माणाधीन 900 मेगावाट अरुण-3 जलविद्युत परियोजना की गहन समीक्षा की। यह परियोजना भारत और नेपाल के बीच सीमा-पार हरित ऊर्जा सहयोग का प्रतीक मानी जाती है। कठिन हिमालयी परिस्थितियों में हो रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, सुरक्षा और समयसीमा की जांच इस दौरे का प्रमुख उद्देश्य था।

SJVN के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भूपेंद्र गुप्ता, तथा निदेशक (कार्मिक) अजय कुमार शर्मा ने नेपाल के फक्सिंडा स्थित डैम साइट का दौरा किया। उन्होंने निर्माण की प्रगति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सुरक्षा मानकों और गुणवत्ता में कोई समझौता न हो।

गुप्ता ने यह भी कहा कि अरुण-3 परियोजना केवल एक ऊर्जा परियोजना नहीं, बल्कि भारत-नेपाल के रणनीतिक संबंधों और ऊर्जा साझेदारी की धुरी है। इसका सफल निष्पादन दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त करेगा।

इस समीक्षा यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने पुखुवा स्थित पावरहाउस और संबंधित आधारभूत सुविधाओं का भी निरीक्षण किया। अधिकारियों ने बताया कि जटिल भू-भाग, परिवहन में चुनौतियों और प्रतिकूल मौसम के बावजूद परियोजना में महत्त्वपूर्ण प्रगति हो रही है।

CMD ने निर्माण कार्यों में लगे इंजीनियरों, श्रमिकों और तकनीकी स्टाफ की मेहनत की सराहना की और निर्माण गति को बनाए रखने के निर्देश दिए ताकि तय लक्ष्यों को समय पर हासिल किया जा सके।

अरुण-3 परियोजना भारत-नेपाल के बीच ऊर्जा सहयोग की मिसाल है। इसके पूरा होने पर यह नेपाल और भारत दोनों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगी और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन देगी। इस परियोजना को SJVN की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी SAPDC द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।

निदेशक अजय कुमार शर्मा ने निर्माण दल की प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए कहा कि अनुशासन, टीम भावना और सुरक्षा प्राथमिकता इस परियोजना की सफलता की कुंजी हैं।

अरुण-3 जलविद्युत परियोजना न केवल भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों को ऊर्जा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास और पर्यावरणीय संतुलन में भी उल्लेखनीय योगदान देगी। इसकी सफलता भविष्य की सीमा-पार हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक आदर्श बन सकती है।

Originally written on December 18, 2025 and last modified on December 18, 2025.

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