अरुणाचल में खोजी गई नई बेगोनिया प्रजाति, ‘चोना बु कु चुलु’ नाम से सम्मानित

अरुणाचल प्रदेश के लापारादा जिले के बसार क्षेत्र से एक नई और आकर्षक पौधे की प्रजाति की खोज ने राज्य के वनस्पति विज्ञान जगत में उत्साह भर दिया है। राज्य बागवानी अनुसंधान एवं विकास संस्थान (SHRDI) की एक टीम ने मई 2025 में इस नई बेगोनिया प्रजाति की पहचान की, जिसकी पत्तियाँ चटक लाल रंग की हैं और अत्यंत सौंदर्यपूर्ण दिखाई देती हैं।
चोना बु कु चुलु: वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मान्यता
इस बेगोनिया प्रजाति को ‘चोना बु कु चुलु’ नाम दिया गया है, जिसका संस्कृत में नाम है “आर्यरक्त” — अर्थात् ‘उदात्त लाल’। यह नामकरण राज्य के उपमुख्यमंत्री चोना मेन को सम्मानित करने के उद्देश्य से किया गया है, जिन्होंने SHRDI की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई थी। SHRDI के निदेशक एगम बसार ने बताया कि यह निर्णय तकनीकी समिति की बैठक में लिया गया, जिसमें वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान (BSI) और अन्य अग्रणी वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल थे।
वाणिज्यिक संभावना और अनुसंधान
चमकदार लाल पत्तियों के कारण यह पौधा उच्च वाणिज्यिक संभावनाओं से भरपूर है। SHRDI वर्तमान में इस पर अनुसंधान कर रहा है ताकि इसे एक व्यावसायिक फसल के रूप में विकसित किया जा सके। बेगोनिया विशेषज्ञ डॉ. दिपू दिपांकर बोरा, डॉ. मोमांग तारम और डॉ. कृष्णा चोलू ने इसे अरुणाचल प्रदेश में एक नई रिकॉर्ड की गई प्रजाति के रूप में मान्यता दी है।
उपमुख्यमंत्री चोना मेन का योगदान
चोना मेन ने बतौर कृषि एवं संबद्ध विभाग मंत्री SHRDI की नींव रखी थी। उन्होंने अनुसंधान संस्थानों के वैश्विक मॉडल देखने के लिए अधिकारियों को विदेश भेजा और राज्य में कृषि-उद्यानिकी क्षेत्र में अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से आज अरुणाचल प्रदेश के पास आठ भौगोलिक संकेतक (GI) उत्पाद हैं — जो पूर्वोत्तर भारत में सर्वाधिक हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘चोना बु कु चुलु’ नाम की यह बेगोनिया प्रजाति मई 2025 में अरुणाचल प्रदेश के बसार क्षेत्र से खोजी गई।
- SHRDI की स्थापना वर्ष 2015 में की गई थी, जिसका श्रेय उपमुख्यमंत्री चोना मेन को दिया जाता है।
- यह पौधा अपने विशिष्ट लाल रंग की पत्तियों के कारण उच्च वाणिज्यिक और सजावटी मूल्य रखता है।
- अरुणाचल प्रदेश के पास वर्तमान में 8 GI टैग प्राप्त कृषि-उद्यानिकी उत्पाद हैं, जो पूर्वोत्तर में सर्वाधिक हैं।