अरुणाचल प्रदेश में 2000 मेगावाट की सुबनसिरी अप्पर परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

अरुणाचल प्रदेश में 2000 मेगावाट की सुबनसिरी अप्पर परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी ज़िले के दापोरिजो में प्रस्तावित 2000 मेगावाट की सुबनसिरी अप्पर जलविद्युत परियोजना के खिलाफ सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। यह प्रदर्शन मुख्यतः उन लोगों द्वारा किया गया जिनकी भूमि इस परियोजना से प्रभावित हो रही है, साथ ही स्थानीय छात्र संगठनों ने भी इसमें भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार से इस परियोजना को रद्द करने की मांग की।

प्रदर्शन की मुख्य मांगें और नाराज़गी

प्रदर्शनकारियों ने दापोरिजो शहर में मार्च करते हुए सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाज़ी की। “आने सुबनसिरी नदी पर डैम नहीं चलेगा”, “हमारी पुश्तैनी ज़मीन अनमोल है, मुआवज़े के बदले नहीं देंगे” और “जीवन की रक्षा करो, विस्थापन रोको” जैसे नारों से पूरा इलाका गूंज उठा। उनका कहना था कि यह परियोजना न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि इससे स्थानीय जनजातीय समुदायों की संस्कृति, आजीविका और अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने अंत में ज़िला उपायुक्त (DC) कार्यालय के सामने धरना भी दिया और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। उनका तर्क है कि परियोजना के निर्माण से बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा और आने वाले वर्षों में पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।

एनएचपीसी को सौंपी गई परियोजना

सुबनसिरी अप्पर जलविद्युत परियोजना को भारत सरकार के उपक्रम नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) लिमिटेड को सौंपा गया है। यह परियोजना सुबनसिरी नदी पर प्रस्तावित है, जो ब्रह्मपुत्र की एक प्रमुख सहायक नदी है। हालांकि सरकार का दावा है कि यह परियोजना ऊर्जा उत्पादन और क्षेत्रीय विकास के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, लेकिन स्थानीय लोग इससे सहमत नहीं हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सुबनसिरी नदी अरुणाचल प्रदेश से निकलती है और असम में ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है।
  • एनएचपीसी लिमिटेड भारत सरकार की एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है जो जलविद्युत परियोजनाओं के विकास में अग्रणी है।
  • अरुणाचल प्रदेश को ‘भारत का ऊर्जा घर’ (Powerhouse of India) कहा जाता है क्योंकि यहां जलविद्युत की अपार संभावनाएं हैं।
  • इस तरह की बड़ी परियोजनाओं के कारण पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन (EIA) और सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (SIA) अनिवार्य होते हैं।
Originally written on October 10, 2025 and last modified on October 10, 2025.

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