अरुणाचल प्रदेश में कलै-II जलविद्युत परियोजना: विकास की नई धारा

अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में प्रस्तावित 1,200 मेगावाट की कलै-II जलविद्युत परियोजना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु हाल ही में एक सार्वजनिक सुनवाई आयोजित की गई। यह सुनवाई अरुणाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (APSPCB) द्वारा आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों और प्रभावित परिवारों की भागीदारी देखी गई। इस परियोजना का विकास THDC इंडिया लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है, और इसके माध्यम से क्षेत्रीय विकास के साथ-साथ ऊर्जा उत्पादन में भी क्रांतिकारी परिवर्तन की उम्मीद की जा रही है।
परियोजना का स्वरूप और तकनीकी पहलू
कलै-II परियोजना लोहित नदी (जो ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है) पर आधारित एक रन-ऑफ-रिवर विद पॉन्डेज़ योजना है। इसमें एक ठोस गुरुत्वाकर्षण बांध, अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम कॉफर डैम, डायवर्जन टनल, पनडुब्बी पावरहाउस, प्रेशर शाफ्ट, सर्ज चेंबर और टेल रेस टनल जैसी संरचनाएं शामिल हैं। परियोजना की जलाशय क्षमता लगभग 318.8 मिलियन घन मीटर है और इसकी ग्रॉस हेड 125 मीटर होगी। इसमें कुल छह टरबाइन होंगे, प्रत्येक की क्षमता 190 मेगावाट होगी।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
परियोजना से लगभग 1,700 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की संभावना है, साथ ही इसके माध्यम से सड़क, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य सहायक सेवाओं में भी विकास को बढ़ावा मिलेगा। महिला एवं बाल विकास मंत्री दसांगलु पुल ने इस परियोजना को पूर्व मुख्यमंत्री और उनके दिवंगत पति कालिखो पुल की दूरदर्शिता का प्रतीक बताया और लोगों से इसे समर्थन देने की अपील की। उन्होंने स्थानीय लोगों के लिए 50% नौकरियों का आश्वासन भी दिया।
पर्यावरणीय चिंताएं और समाधान
सुनवाई के दौरान THDC और उसके परामर्शदाता WAPCOS लिमिटेड ने परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव और उनके निवारण उपायों की जानकारी दी। जबकि अधिकांश लोगों ने परियोजना का समर्थन किया, कुछ ने भूमि मुआवजा, रोजगार और स्थानीय विकास को लेकर चिंता जताई। इसके जवाब में जिला उपायुक्त मिलो कोजिन ने सभी सुझावों को सुनवाई के मिनट्स में शामिल करने और प्रत्येक गांव से दो प्रतिनिधियों को उत्तराखंड के टिहरी डैम का अध्ययन दौरा कराने का आश्वासन दिया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- लोहित नदी ब्रह्मपुत्र की एक प्रमुख सहायक नदी है, जो अरुणाचल प्रदेश से निकलती है।
- THDC इंडिया लिमिटेड पहले ‘Tehri Hydro Development Corporation’ के नाम से जाना जाता था और अब यह एक मिनी रत्न PSU है।
- रन-ऑफ-रिवर प्रोजेक्ट्स में जलाशय का सीमित उपयोग होता है और ये पर्यावरण पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव डालते हैं।
- टिहरी बांध उत्तराखंड में स्थित भारत का सबसे ऊँचा बांध है, जो बड़े पैमाने पर ऊर्जा और सिंचाई प्रदान करता है।
यह परियोजना न केवल ऊर्जा उत्पादन में योगदान देगी, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार लाएगी। हालांकि, किसी भी बड़े बुनियादी ढांचे की तरह, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए पारदर्शिता, स्थानीय भागीदारी और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना आवश्यक होगा। कलै-II जलविद्युत परियोजना, यदि सुनियोजित ढंग से पूरी होती है, तो यह पूर्वोत्तर भारत में टिकाऊ विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बन सकती है।