अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में मिला विशाल आकार वाला नया फफूंद: Bridgeoporus kanadii की खोज

पूर्वोत्तर भारत के जैव विविधता से समृद्ध अरुणाचल प्रदेश के जंगलों से वैज्ञानिकों ने फफूंद (कवक) की एक अद्वितीय और विशाल प्रजाति की खोज की है, जिसका नाम Bridgeoporus kanadii रखा गया है। यह प्रजाति अपने असाधारण बड़े फलन अंग (fruiting bodies) के कारण विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिनमें से कुछ इतने विशाल हैं कि एक व्यक्ति उन पर बैठ सकता है।
खोज और वैज्ञानिक पहचान
इस अद्भुत खोज का नेतृत्व बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) के वैज्ञानिक अरविंद परिहार ने किया। यह फफूंद उन्हें मानसून के मौसम में एक सर्वेक्षण के दौरान पुरानी शंकुधारी वृक्षों (विशेष रूप से फर वृक्ष, Abies प्रजाति) के तनों पर पाया गया। शोधकर्ताओं को 40 से अधिक फलों वाले अंगों के गुच्छों के रूप में यह नया कवक दिखाई दिया, जिनमें से सबसे बड़ा अंग 3 मीटर (10 फीट) व्यास तक फैला हुआ था।
नामकरण और विशेषताएँ
इस प्रजाति का नाम Bridgeoporus kanadii प्रसिद्ध भारतीय कवकविज्ञानी कनद दास के सम्मान में रखा गया है, जिन्होंने भारत में मैक्रोफंगस (विशाल कवक) के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वैज्ञानिकों ने इस कवक के आकार, रंग, मोटाई, लंबाई-चौड़ाई जैसे रूपात्मक लक्षणों का विश्लेषण किया और इसके डीएनए का अनुक्रमण कर अन्य ज्ञात प्रजातियों से तुलना की। इसके बाद पुष्टि हुई कि यह Bridgeoporus वंश की एक नई प्रजाति है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Bridgeoporus kanadii विश्व में इस वंश की केवल दूसरी ज्ञात प्रजाति है।
- इससे पहले Bridgeoporus nobilissimus नामक प्रजाति केवल उत्तरी अमेरिका में पाई जाती थी और वह भी संकटग्रस्त (Critically Endangered) श्रेणी में आती है।
- पहले चीन में पाई गई B. sinensis को अब एक अन्य वंश Oxyporus में वर्गीकृत कर दिया गया है।
- Bridgeoporus वंश के फफूंद मुख्यतः मृत वृक्षों पर उगते हैं और वनों के पोषण एवं कार्बन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।