अरावली पर्वतमाला में नई खनन पट्टों पर पूर्ण प्रतिबंध: भारत सरकार की बड़ी पर्यावरणीय पहल

अरावली पर्वतमाला में नई खनन पट्टों पर पूर्ण प्रतिबंध: भारत सरकार की बड़ी पर्यावरणीय पहल

भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अरावली पर्वतमाला में नई खनन पट्टों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय दिल्ली से गुजरात तक फैली अरावली श्रृंखला की पारिस्थितिकीय सुरक्षा और अवैध खनन पर नियंत्रण की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।

अरावली पर्वत श्रृंखला का पारिस्थितिकीय महत्व

अरावली विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, जो उत्तर-पश्चिम भारत में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी मुख्य पर्यावरणीय विशेषताएं हैं:

  • थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकने में प्राकृतिक अवरोध
  • भूजल पुनर्भरण में सहायता
  • विविध वनस्पति और जीव-जंतुओं का आवास
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में पारिस्थितिकीय सेवाओं का स्रोत

हाल के दशकों में अनियंत्रित और अवैध खनन ने इस संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाई है, जिससे अनेक बार न्यायिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप आवश्यक हुए।

राज्यों की सीमाओं से परे एक समान प्रतिबंध

मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, यह प्रतिबंध पूरी अरावली पर्वतमाला पर समान रूप से लागू होगा, चाहे वह किसी भी राज्य की सीमा में हो। सरकार ने “लैंडस्केप लेवल संरक्षण” (Landscape-level Conservation) को प्राथमिकता देते हुए अरावली को एक अखंड भौगोलिक और पारिस्थितिकीय इकाई के रूप में संरक्षित करने का निर्णय लिया है, न कि खंडित वन क्षेत्रों के रूप में।

वैज्ञानिक आकलन के लिए विस्तारित दायित्व

पर्यावरण मंत्रालय ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE) को जिम्मेदारी सौंपी है कि वह अरावली क्षेत्र में और किन स्थानों पर पूर्ण खनन प्रतिबंध लागू होना चाहिए, इसका वैज्ञानिक मानकों पर आधारित मूल्यांकन करे।

प्रमुख वैज्ञानिक मानक होंगे:

  • जैव विविधता का महत्व
  • भौगोलिक संवेदनशीलता
  • पारिस्थितिकीय नाजुकता

ICFRE पूरे क्षेत्र के लिए सतत खनन हेतु एक प्रबंधन योजना (Management Plan for Sustainable Mining) भी तैयार करेगा, जिसमें समेकित पर्यावरणीय प्रभाव और पारिस्थितिकीय वहन क्षमता का आकलन किया जाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।

• इस क्षेत्र में खनन पर कई बार उच्चतम न्यायालय और अन्य अदालतों द्वारा आदेश दिए जा चुके हैं।

ICFRE, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।

लैंडस्केप-लेवल संरक्षण का तात्पर्य एक सतत और संयुक्त पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा से है।

वर्तमान खदानों पर विनियमन और संरक्षण की दिशा

जहाँ नई खनन पट्टों को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है, वहीं पहले से संचालित खदानें कुछ कड़े पर्यावरणीय नियमों और न्यायालयीय आदेशों के अंतर्गत संचालित होंगी। राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि पर्यावरणीय सुरक्षा मानकों का पूर्ण पालन हो और किसी प्रकार की नई पारिस्थितिक क्षति न हो।

यह निर्णय भारत सरकार के पर्यावरणीय संरक्षण, जलवायु सहनशीलता और सतत विकास के प्रति दीर्घकालिक संकल्प को दर्शाता है और अरावली जैसी प्राचीन एवं नाजुक पारिस्थितिकी की रक्षा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

Originally written on December 27, 2025 and last modified on December 27, 2025.

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