अयोध्या की संस्कृति

अयोध्या की संस्कृति

भगवान राम अयोध्या के सबसे महान राजा थे। उस समय अयोध्या पूरे भारत की राजधानी थी। श्री राम का शासन समृद्ध और शांतिपूर्ण शासन था। उन्होंने अयोध्या को सुंदर मंदिरों और भवनों से सजाया था। आज अयोध्या का महत्व मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण है कि इसे राम की संगति से पवित्र किया गया है। श्री राम के समय के बाद अयोध्या पारंपरिक इतिहास में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाती है। यह हमेशा महान सांस्कृतिक गतिविधियों का एक केंद्र रहा है। बाद में अयोध्या कौशल के राज्य का एक हिस्सा बन गया, जिसने बौद्ध काल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बौद्ध वृत्तांत से यह प्रतीत होता है कि साकेत में कौशल राजाओं की राजधानियाँ थीं। अयोध्या सबसे प्रारंभिक राजधानी थी, उसके बाद साकेत और देवी सरस्वती अंतिम राजधानी थीं। देवी सरस्वती की पहचान साकेत-महेत के रूप में की गई है, जो उत्तर प्रदेश में गोंडा और बहराइच जिलों की सीमाओं के दक्षिण तट पर स्थित है। महापरिनिब्बन सुत्त में चंपा, राजगृह, सरस्वती का उल्लेख है। जैन धर्म का अयोध्या से गहरा नाता है। जैन धर्म के संस्थापक आदिनाथ और चौबीस तीर्थंकरों में से चार का जन्म अयोध्या में हुआ था। ऐसा प्रतीत होता है कि इस धर्म की स्थापना यहाँ बहुत पहले हो चुकी थी। अयोध्या में कई जैन मंदिर हैं। हिंदू धर्म का केंद्र होने के कारण इसने आक्रमणकारियों का ध्यान आकर्षित किया। अयोध्या अकबर और मुहम्मद शाह का एक टकसाल शहर था। जब नए शहर फैजाबाद में अदालत हटाई गई तो हिंदुओं को राहत मिली।

Originally written on January 25, 2022 and last modified on January 25, 2022.

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