अमेज़न वर्षावन में भविष्य की जलवायु का परीक्षण: ब्राज़ील का ‘टाइम मशीन’ प्रयोग

अमेज़न वर्षावन में भविष्य की जलवायु का परीक्षण: ब्राज़ील का ‘टाइम मशीन’ प्रयोग

ब्राज़ील के घने अमेज़न वर्षावन में वैज्ञानिकों ने एक अनूठा प्रयोग शुरू किया है, जो भविष्य की जलवायु परिस्थितियों को सजीव रूप से समझने का प्रयास है। “अमेज़नFACE” नामक इस परियोजना को वैज्ञानिक एक प्रकार की “समय यात्रा मशीन” मानते हैं, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड को पेड़ों के ऊपर छोड़ा जा रहा है ताकि यह आकलन किया जा सके कि वर्षावन भविष्य के वातावरण के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करेगा।

अमेज़नFACE परियोजना: जलवायु भविष्य की जीवंत प्रयोगशाला

मानाुस शहर के पास, छह विशाल इस्पाती रिंग वर्षावन की छतरी के ऊपर खड़ी हैं, जिनमें प्रत्येक में 50 से 70 परिपक्व वृक्ष शामिल हैं। इनमें से तीन रिंगों में वैज्ञानिक आगामी दशकों के अनुमानित वातावरण के अनुरूप उच्च स्तर का कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ेंगे, जबकि अन्य तीन रिंग नियंत्रण समूह के रूप में कार्य करेंगी।
यह प्रयोग ब्राज़ील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर अमेज़न रिसर्च (INPA) और यूनिवर्सिडाडे एस्टाडुअल डी कैम्पिनास के संयुक्त नेतृत्व में किया जा रहा है। परियोजना को ब्राज़ील सरकार और यूनाइटेड किंगडम का सहयोग प्राप्त है।

वर्षावनों का संरक्षण: जलवायु संकट के समाधान की कुंजी

वैज्ञानिकों का मानना है कि अमेज़न जैसे उष्णकटिबंधीय वर्षावनों का संरक्षण जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को कम करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। नवंबर में बेलें (जहाँ अमेज़न बेसिन अटलांटिक महासागर से मिलता है) में होने वाले COP30 जलवायु सम्मेलन में यह प्रयोग प्रमुख चर्चा का विषय होगा।
FACE (Free-Air CO2 Enrichment) तकनीक के माध्यम से वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि वनों पर बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड का दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा — विशेष रूप से पेड़ों की वृद्धि, पत्तियों की श्वसन क्रिया, जल वाष्प उत्सर्जन और जैव विविधता पर।

भविष्य का पूर्वाभास: हर 10 मिनट पर डेटा संग्रह

अमेज़नFACE में लगे सेंसर हर 10 मिनट पर मौसम, प्रकाश, वर्षा, और अन्य प्राकृतिक परिवर्तनों के अनुसार वनस्पति की प्रतिक्रिया दर्ज करते हैं। बाद के चरणों में वैज्ञानिक कृत्रिम सूक्ष्म जलवायु (microclimate) बनाएंगे, जिनमें 2050 या 2060 तक अनुमानित कार्बन डाइऑक्साइड स्तर को प्रतिबिंबित किया जाएगा।
“इस प्रयोग के माध्यम से हम यह समझ सकेंगे कि जब वातावरण में CO₂ का स्तर कई गुना बढ़ जाएगा, तो अमेज़न की जैव विविधता, जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र कैसे बदलेंगे,” परियोजना से जुड़े वन अभियंता गुस्तावो कार्वाल्हो ने बताया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • AmazonFACE परियोजना विश्व का पहला ऐसा प्रयोग है जो इस पैमाने पर उष्णकटिबंधीय वर्षावन में किया जा रहा है।
  • अमेज़न वर्षावन लगभग 550 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है और इसे “धरती का फेफड़ा” कहा जाता है।
  • FACE तकनीक का उपयोग पहले अमेरिका सहित कुछ देशों में समशीतोष्ण वनों पर किया गया है।
  • COP30 सम्मेलन 10 से 21 नवंबर 2025 के बीच ब्राज़ील के बेलें शहर में आयोजित होगा।

अमेज़नFACE जैसे प्रयोग यह सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास हैं कि हम जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक प्रभावों को समझकर समय रहते सही नीतियाँ बना सकें। भविष्य की जलवायु का यह सजीव परीक्षण न केवल अमेज़न के लिए, बल्कि पूरी पृथ्वी की स्थिरता के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

Originally written on October 30, 2025 and last modified on October 30, 2025.

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