अमेरिका द्वारा नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ घातक सैन्य हमले: पश्चिम अफ्रीका में आतंकवाद विरोधी नीति में बड़ा बदलाव

अमेरिका द्वारा नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ घातक सैन्य हमले: पश्चिम अफ्रीका में आतंकवाद विरोधी नीति में बड़ा बदलाव

संयुक्त राज्य अमेरिका ने उत्तर-पश्चिम नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट (IS) के ठिकानों पर “शक्तिशाली और घातक” सैन्य हमले किए हैं, जिनकी घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की। यह कार्रवाई वाशिंगटन की पश्चिम अफ्रीका में आतंकवाद विरोधी रणनीति में एक महत्वपूर्ण उन्नयन मानी जा रही है और क्षेत्र में बढ़ती चरमपंथी हिंसा को लेकर व्हाइट हाउस के कड़े रुख को दर्शाती है।

ट्रंप की घोषणा और सैन्य कार्रवाई

राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए कहा कि अमेरिकी सेना ने नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट से संबंधित तत्वों पर “कई सटीक हमले” किए हैं। उन्होंने कहा कि यह संगठन निर्दोष नागरिकों, विशेषकर ईसाइयों की निर्मम हत्या कर रहा है और अमेरिका के नेतृत्व में इस प्रकार की कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद को पनपने नहीं दिया जाएगा।

हालांकि, इन हमलों के परिचालन विवरण साझा नहीं किए गए हैं, लेकिन इसे अमेरिका की सक्रिय और आक्रामक आतंकवाद विरोधी नीति का हिस्सा माना जा रहा है।

अमेरिकी हस्तक्षेप की पृष्ठभूमि

ट्रंप द्वारा अमेरिकी रक्षा विभाग को ऐसे आतंकी संगठनों के खिलाफ तैयारी के निर्देश दिए जाने के लगभग एक महीने बाद यह हमले हुए हैं। नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रॉविन्स (ISWAP) और बोको हराम जैसे चरमपंथी गुटों द्वारा निरंतर हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें नागरिक और सुरक्षाबल दोनों निशाना बने हैं।

हाल के हफ्तों में नाइजीरियाई क्षेत्र में अमेरिकी निगरानी गतिविधियों की भी रिपोर्ट सामने आई थी, जिससे संकेत मिला कि अमेरिका की इस क्षेत्र में भागीदारी गहराती जा रही है।

नाइजीरिया की प्रतिक्रिया

नाइजीरियाई सरकार ने अमेरिकी कार्रवाई पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति बोला टिनुबू के सलाहकार डैनियल बवाला ने कहा कि नाइजीरिया सहयोग का स्वागत करता है, लेकिन किसी भी सैन्य कार्रवाई में देश की संप्रभुता और समन्वय का सम्मान आवश्यक है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकियों के हमलों में केवल किसी एक धार्मिक समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाता, बल्कि सभी धर्मों के लोग पीड़ित हुए हैं। इस बयान के जरिए नाइजीरियाई सरकार ने क्षेत्रीय यथार्थ और धार्मिक संतुलन को रेखांकित किया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • नाइजीरिया में बोको हराम और ISWAP जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं।
  • “Country of Particular Concern” अमेरिकी विदेश नीति में धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन से संबंधित एक विशेष दर्जा है।
  • नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जिसमें ईसाई और मुस्लिम जनसंख्या लगभग समान है।
  • आतंकवाद विरोधी सहयोग में खुफिया जानकारी, निगरानी और संयुक्त सैन्य अभियान शामिल होते हैं।

धार्मिक स्वतंत्रता विवाद और राजनयिक प्रभाव

हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने नाइजीरिया को “धार्मिक स्वतंत्रता की विशेष चिंता वाला देश” (Country of Particular Concern) घोषित किया, जिसमें कथित रूप से ईसाइयों के विरुद्ध हिंसा का हवाला दिया गया, हालांकि इसके समर्थन में कोई स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया। कई स्वतंत्र निगरानी संस्थाओं ने इस दावे पर संदेह व्यक्त किया है और इसे पक्षपातपूर्ण बताया है।

राष्ट्रपति टिनुबू ने दोहराया है कि नाइजीरिया में धार्मिक सहिष्णुता की परंपरा है और असुरक्षा की समस्या सभी समुदायों और क्षेत्रों को प्रभावित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ सहयोग के लिए नाइजीरिया प्रतिबद्ध है।

यह घटना पश्चिम अफ्रीका की सुरक्षा, अमेरिकी विदेश नीति और धार्मिक राजनीति के जटिल संबंधों को उजागर करती है, जिसका आगे के राजनयिक और क्षेत्रीय समीकरणों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

Originally written on December 27, 2025 and last modified on December 27, 2025.

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