अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता: APEC सम्मेलन से पहले बढ़ा तनाव, नवंबर में फिर लग सकते हैं भारी शुल्क
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता इस समय बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रही है, जहां दोनों देशों द्वारा उठाए गए जवाबी कदमों ने तनाव को और बढ़ा दिया है। नवंबर में समाप्त हो रही अस्थायी ‘टैरिफ ट्रूस’ (शुल्क युद्धविराम) से पहले, इन आर्थिक महाशक्तियों के राष्ट्राध्यक्ष एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में आमने-सामने हो सकते हैं। यह बैठक 31 अक्टूबर से 1 नवम्बर के बीच दक्षिण कोरिया में प्रस्तावित है।
शुल्क युद्ध की पृष्ठभूमि और आगामी वार्ता
अमेरिका ने अप्रैल 2025 में चीन से आयातित अधिकांश वस्तुओं पर 145% शुल्क लगाया था, जिसके जवाब में चीन ने 125% शुल्क लगाया। मई 2025 में दोनों देशों ने एक 90-दिवसीय युद्धविराम समझौता किया, जिसे अगस्त में और 90 दिनों के लिए बढ़ाया गया। यह अस्थायी राहत 10 नवम्बर 2025 को समाप्त हो रही है। यदि तब तक कोई स्थायी समझौता नहीं हुआ, तो पुराने ऊंचे शुल्क फिर से लागू हो सकते हैं।
APEC बैठक से पहले, 24 से 27 अक्टूबर तक कुआलालंपुर (मलेशिया) में चीन के उप प्रधानमंत्री हे लिफेंग और अमेरिका के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट के बीच बातचीत हुई है। हालांकि अब तक किसी ठोस समझौते की घोषणा नहीं हुई है।
अमेरिका-चीन के नए प्रतिबंध और रणनीतिक कदम
अक्टूबर 2025 में, चीन ने दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (rare earth elements), सिंथेटिक डायमंड्स, और उच्च-प्रदर्शन वाली लिथियम बैटरी सामग्री के निर्यात पर नए प्रतिबंध लगाए। इन सामग्रियों का उपयोग रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में होता है। अमेरिका ने इसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया के साथ एक महत्वपूर्ण खनिज समझौता किया।
इसके अलावा, दोनों देशों ने एक-दूसरे के समुद्री जहाजों पर पोर्ट शुल्क लगाना शुरू कर दिया है, जो 2028 तक चरणबद्ध तरीके से लागू होंगे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का अस्थायी विराम 10 नवम्बर 2025 को समाप्त हो रहा है।
- APEC शिखर सम्मेलन 31 अक्टूबर–1 नवम्बर को दक्षिण कोरिया में आयोजित होगा।
- ट्रंप प्रशासन ने 1 नवम्बर 2025 से 100% नए टैरिफ लगाने की समय सीमा तय की है।
- चीन ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर नए निर्यात प्रतिबंध लगाए हैं।
- दोनों देशों ने अक्टूबर 2025 से एक-दूसरे के जहाजों पर पोर्ट शुल्क लगाना शुरू किया है।
संभावित परिणाम और वैश्विक असर
विश्लेषकों के अनुसार, APEC बैठक में एक स्थायी समझौता होना फिलहाल मुश्किल लगता है। अधिक संभावना एक नए अस्थायी युद्धविराम की है। अगर वार्ता विफल रहती है:
- अमेरिका में उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें और उत्पादन लागत बढ़ेंगी।
- व्यापारिक अनिश्चितता निवेश और आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।
- चीन की आर्थिक विकास दर, जो पहले से ही धीमी है, और अधिक प्रभावित होगी।
- चीन की लघु और मध्यम उद्योग इकाइयां, जो रोजगार का बड़ा स्रोत हैं, दबाव में आ सकती हैं।
राजनीतिक और भू-राजनीतिक दांव
ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच यह वार्ता केवल व्यापार तक सीमित नहीं होगी। ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध पर चीन से सहयोग की भी मांग करेंगे। दोनों नेता इस वार्ता का घरेलू राजनीतिक लाभ उठाना चाहेंगे, इसलिए कूटनीतिक समीकरणों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी।