अमेरिका की H-1B नीति पर सख्ती, चीन की K वीजा पहल और भारत के लिए भविष्य की चुनौती

अमेरिका की H-1B नीति पर सख्ती, चीन की K वीजा पहल और भारत के लिए भविष्य की चुनौती

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा पर लगाए गए नए प्रतिबंध एक तरफ जहाँ उनकी घरेलू ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (MAGA) समर्थक जनता को संतुष्ट करने की कोशिश हैं, वहीं दूसरी ओर इन कदमों से वैश्विक तकनीकी प्रतिभा के प्रवाह पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसका लाभ उठाने के लिए चीन ने एक नई रणनीतिक चाल चली है — ‘K वीजा’ नामक एक नई वीजा श्रेणी के माध्यम से।
यह पहल अमेरिका की कठोर आव्रजन नीतियों के विपरीत है और इसका उद्देश्य वैश्विक वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रतिभाओं को चीन में आकर्षित करना है।

क्या है चीन का K वीजा?

चीन की राज्य परिषद ने ‘प्रवेश एवं निकास प्रबंधन नियम’ में संशोधन करते हुए 1 अक्टूबर से K वीजा लागू करने की घोषणा की है। यह वीजा विशेष रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए स्नातक या उच्च डिग्री धारक युवा विदेशी पेशेवरों के लिए है।
K वीजा की प्रमुख विशेषताएँ:

  • लचीलापन: बार-बार प्रवेश और लंबी वैधता की अनुमति।
  • स्वतंत्र आवेदन प्रक्रिया: स्थानीय प्रायोजन की अनिवार्यता नहीं।
  • कार्य का विस्तार: शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी नवाचार, संस्कृति, उद्यमिता और व्यवसाय में भागीदारी की अनुमति।
  • STEMM में विशेषज्ञता: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा से संबंधित योग्यताएं आवश्यक।

यह वीजा चीन द्वारा 2013 में शुरू किए गए R वीजा का विस्तार है, लेकिन इसका मुख्य लक्ष्य युवा अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करना है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • H-1B वीजा अमेरिका की उच्च कुशल विदेशी पेशेवरों के लिए मुख्य वीजा श्रेणी है, जिसका भारत सबसे बड़ा लाभार्थी है।
  • चीन के K वीजा की घोषणा 1 अक्टूबर से प्रभावी है, जिसका उद्देश्य STEM क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा को लाना है।
  • त्सीन्घुआ और पेकिंग विश्वविद्यालय अब वैश्विक शीर्ष 10 के करीब पहुँच चुके हैं।
  • अमेरिका के कठोर वीजा नियमों और विज्ञान फंडिंग में कटौती को बीजिंग एक अवसर के रूप में देख रहा है।
Originally written on September 26, 2025 and last modified on September 26, 2025.

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