अमेरिका की दोहरी टैरिफ नीति और भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया: विकास, विविधता और विवेक की दिशा में

हाल ही में अमेरिका द्वारा लगाए गए दोहरी टैरिफ (double tariffs) ने वैश्विक व्यापार पर असर डाला है, लेकिन भारत की स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर और रणनीतिक रूप से संतुलित बनी हुई है। भारत से प्रभावित निर्यात सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 1% से भी कम है, जिससे यह स्पष्ट है कि भारत दबाव में आने की स्थिति में नहीं है। इसके बावजूद, यह मुद्दा MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों) और रणनीतिक आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है।
सीमित आर्थिक असर, लेकिन गहरा सामाजिक प्रभाव
- निर्यात प्रभावित होने वाले MSME सेक्टर में अधिकतर रोजगार-प्रधान इकाइयाँ हैं।
- सरकार द्वारा महामारी के बाद दी गई समयबद्ध सहायता — जैसे आसान ऋण, ब्याज सब्सिडी, और क्रेडिट गारंटी — प्रभावी रही थी और फिर से लागू की जानी चाहिए।
- Sunset clauses (समाप्ति समय सीमा) नैतिक जोखिम को कम करते हैं और वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हैं।
विविधीकरण और घरेलू सशक्तिकरण
- व्यापार विविधता (Trade Diversification) की नीति अपनाकर, भारत को विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक साझेदारी बढ़ानी चाहिए — बिना अमेरिका को अलग किए।
- इससे किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता नहीं रहती और भारत बातचीत में अधिक सामर्थ्य प्राप्त करता है।
- स्थानीय प्रशासनिक सुधार, विशेषकर नगरपालिकाओं में, और प्रतिस्पर्धी विकेन्द्रीकरण को प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है।
मौद्रिक नीति की भूमिका और बाजार की प्रतिक्रिया
- RBI ने 5.50% रेपो दर पर नीति दरों को स्थिर रखा है, लेकिन 10-वर्षीय गवर्नमेंट बॉन्ड यील्ड 6.5% से ऊपर चली गई है, जो बाजार की चिंता को दर्शाता है।
- मुद्रास्फीति का रुझान घटता हुआ है (3.1% अनुमान), पर निर्यात की मांग में झटका आने से विकास के सामने खतरा है।
- RBI को अब मौद्रिक नीति का उपयोग कर आउटपुट को उसकी संभाव्यता तक पहुंचाने में मदद करनी होगी।
कर संरचना और संभावित सुधार
- GST स्लैब सरलीकरण प्रस्ताव — 5%, 18% और 40% की नई संरचना — से ₹50,000–₹60,000 करोड़ के राजस्व घाटे की आशंका है।
- इससे राजकोषीय अनुशासन पर असर पड़ सकता है और सरकारी उधारी बढ़ने का जोखिम है, जो यील्ड को और ऊपर ले जा सकता है।
- नीति-निर्माताओं को राजस्व और विकास के संतुलन पर विशेष ध्यान देना होगा।
कॉरपोरेट निवेश को प्रोत्साहन: “Corporates for the Future” योजना
भारत में कॉरपोरेट निवेश और R&D खर्च अभी भी पर्याप्त नहीं है। इसके लिए एक प्रोत्साहन आधारित ढांचा तैयार किया जा सकता है:
- PBT (Profit Before Tax) का 10% R&D में निवेश।
- या अवसंरचना बॉन्ड्स / फंड्स में निवेश।
- अन्यथा, सरकारी कर में जमा — जो केंद्र/राज्य की परियोजनाओं के लिए उपयोग हो।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Repo Rate (5.50%): वह दर जिस पर RBI बैंकों को ऋण देता है।
- GST स्लैब सुधार: प्रस्तावित 3 मुख्य दरें — 5%, 18% और 40% (पाप/नुकसानदायक वस्तुएं)।
- Sunset Clause: समय-सीमित योजनाएं जो नैतिक जोखिम से बचाव करती हैं।
- Operation Twist: दीर्घकालिक बॉन्ड खरीदना और अल्पकालिक बेचना — यील्ड नियंत्रण हेतु।
- Fiscal Slippage: जब सरकार लक्षित राजकोषीय घाटा पार कर जाती है।
भारत की रणनीति स्पष्ट होनी चाहिए — स्थानीय क्षमताओं को बढ़ाकर वैश्विक झटकों से रक्षा करना। यह समय है जब नीति, पूंजी और नागरिक एक साथ मिलकर देश को विकास की नई ऊंचाइयों की ओर ले जा सकते हैं।