अमेरिका-ईरान परमाणु हमले का प्रभाव: वैश्विक भू-राजनीति में बड़ा मोड़

22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला कर वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी। स्टील्थ B-2 बमवर्षकों द्वारा गिराए गए “बंकर बस्टर” बमों ने फोर्दो यूरेनियम संवर्धन संयंत्र को निशाना बनाया, जो पर्वत की गहराई में स्थित है। इस हमले के बाद विश्व भर की निगाहें पश्चिम एशिया पर टिक गई हैं।

अमेरिका-इज़राइल संबंधों में मजबूती

इस हमले ने अमेरिका की “आयरन-क्लैड” प्रतिबद्धता को इज़राइल के प्रति स्पष्ट कर दिया है। अब तक अमेरिका केवल इज़राइली हमलों में तकनीकी सहयोग और रक्षा प्रणाली के माध्यम से शामिल था, लेकिन अब उसने सीधा सैन्य हस्तक्षेप किया है।

ट्रम्प की नीति से विचलन

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हमेशा “एंडलेस वॉर्स” से बचने की बात की थी। लेकिन ईरान पर बमबारी उनके पूर्व बयानों से पूरी तरह उलट है। इससे उनके नेतृत्व में अमेरिका एक नए युद्ध क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है।

इज़राइल की कूटनीतिक और सैन्य बढ़त

इज़राइल इस हमले का सबसे बड़ा लाभार्थी है। वह पहले ही हमास और हिजबुल्लाह को कमजोर कर चुका था, और अब ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर निशाना साध रहा है। अमेरिकी हमले ने फोर्दो जैसे दुर्गम ठिकाने को भी क्षतिग्रस्त किया है।

ईरानी हवाई सुरक्षा पर खतरा

बिना किसी चुनौती के B-2 बमवर्षकों का ईरानी सीमा में प्रवेश और वापसी यह दर्शाता है कि ईरान की हवाई सुरक्षा कमजोर हो चुकी है। इज़राइल ने पहले ही ईरानी मिसाइल प्रणाली को काफी हद तक नष्ट कर दिया है।

कमज़ोर होती ईरानी सरकार

पिछले सप्ताहों में 600 से अधिक ईरानी नागरिक मारे गए हैं। शासन के शीर्ष नेता अयातुल्ला खामेनेई की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए सरकार पर संकट और अस्थिरता के बादल मंडरा रहे हैं। कुछ विश्लेषकों ने ईरान में ‘रेजीम चेंज’ की संभावना भी जताई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Fordow परमाणु संयंत्र: 90 मीटर गहराई में स्थित, ईरान का प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्र
  • GBU-57 MOP: अमेरिका का सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु बंकर बस्टर बम
  • B-2 Spirit Bomber: स्टेल्थ विमान, केवल अमेरिका के पास उपलब्ध
  • IAEA की रिपोर्ट: फिलहाल कोई रेडिएशन लीक नहीं, स्थिति नियंत्रण में

भारत के लिए रणनीतिक निहितार्थ

भारत के लिए यह संकट बहुआयामी है। पश्चिम एशिया में 80 लाख से अधिक भारतीय रहते हैं, जिनकी सुरक्षा सर्वोपरि है। भारत की ऊर्जा निर्भरता का 60 प्रतिशत हिस्सा इसी क्षेत्र से आता है। भारत ने पहले ही 1,400 छात्रों को ईरान से निकाला है और इज़राइल से भी निकासी की योजना बना रहा है।

निष्कर्ष

ईरान पर अमेरिका का सीधा हमला न केवल इस क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर तनाव को बढ़ा सकता है। भारत जैसे देशों के लिए यह स्थिति रणनीतिक, आर्थिक और मानवीय दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण है। आने वाले सप्ताहों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह टकराव किस दिशा में जाता है – कूटनीति की ओर या व्यापक युद्ध की ओर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *