अफ्रीकी देशों को दिखाया जाएगा भारत का पीएम-कुसुम मॉडल: सौर ऊर्जा से खेती का उत्थान

भारत सरकार अब अपने प्रमुख कृषि-सौर कार्यक्रम प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) को अफ्रीकी देशों और द्वीपीय राष्ट्रों में प्रदर्शित करने की योजना बना रही है। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह जानकारी ISA (इंटरनेशनल सोलर अलायंस) की आठवीं महासभा से पहले एक कार्यक्रम में दी।
अफ्रीका और द्वीपीय देशों में सौर समाधान की मांग
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि PM-KUSUM और प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना (छत पर सौर पैनल योजना) को उन देशों में प्रदर्शित किया जा रहा है जहाँ बिजली की कनेक्टिविटी एक बड़ी चुनौती है। खासतौर पर अफ्रीका और द्वीपीय देशों में यह पहल ISA के सहयोग से हो रही है। भारत के सौर पंपों की सफलता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुचि पैदा की है।
पीएम-कुसुम योजना: उद्देश्य और उपलब्धियाँ
2019 में शुरू हुई ₹34,000 करोड़ की इस योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना है। योजना के प्रमुख लक्ष्य थे:
- किसानों की जमीन पर 100 गीगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना।
- 14 लाख सौर पंप लगाना।
- 35 लाख ग्रिड-कनेक्टेड कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से सौरकृत करना।
हालाँकि योजना अपने प्रारंभिक लक्ष्यों से पीछे रह गई, फिर भी सरकार ने इसे मार्च 2026 तक विस्तारित कर लक्ष्य 348 गीगावाट कर दिया है।
अब तक इस योजना के तहत:
- अकेले खड़े सौर पंपों की स्थापना में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसमें 70% लक्ष्य पूरा हो चुका है।
- ग्रिड से जुड़ी विकेन्द्रीकृत सौर परियोजनाओं में केवल 6% सफलता मिली है।
- ग्रिड-कनेक्टेड पंपों में 16% से 25% ही कार्य हुआ है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- PM-KUSUM योजना की शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी और इसका उद्देश्य किसानों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना है।
- ISA (इंटरनेशनल सोलर अलायंस) भारत की पहल है जिसे 2015 में फ्रांस के साथ मिलकर शुरू किया गया था।
- अफ्रीका में केवल 4% कृषि योग्य भूमि सिंचित है, जिससे वहाँ खाद्यान्न का भारी आयात होता है।
- ISA के अनुसार, अफ्रीका हर वर्ष लगभग $400 बिलियन मूल्य का खाद्यान्न आयात करता है।