अफ्रीका में रूस का पहला नौसैनिक अड्डा: सूडान ने दी ऐतिहासिक मंज़ूरी

अफ्रीका में रूस का पहला नौसैनिक अड्डा: सूडान ने दी ऐतिहासिक मंज़ूरी

सूडान ने रूस को अफ्रीका में उसका पहला नौसैनिक अड्डा स्थापित करने की अनुमति देकर एक ऐतिहासिक समझौते को मंजूरी दी है। यह समझौता लाल सागर के किनारे रूस को एक रणनीतिक उपस्थिति प्रदान करेगा, जो वैश्विक व्यापार और समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

लाल सागर पर रणनीतिक स्थिति

रूस का यह नया नौसैनिक केंद्र पोर्ट सूडान के पास स्थापित किया जाएगा। यह स्थान दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक पर स्थित है, जहाँ से लगभग 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार लाल सागर और स्वेज़ नहर के माध्यम से गुजरता है। इस अड्डे के माध्यम से रूस को अमेरिका और चीन जैसे देशों की तरह इस क्षेत्र में एक स्थायी सामरिक ठिकाना मिल जाएगा, जो अफ्रीका और मध्य पूर्व के बीच स्थित इस समुद्री गलियारे में उसकी पहुंच को सुदृढ़ करेगा।

रक्षा समझौते की प्रमुख शर्तें

यह समझौता पहली बार वर्ष 2017 में प्रस्तावित हुआ था और 2020 में हस्ताक्षरित हुआ। अब इसके सभी लंबित मुद्दों के समाधान के बाद इसे पूरी तरह लागू करने की घोषणा की गई है। इस समझौते के तहत रूस को अधिकतम 300 सैन्यकर्मी तैनात करने और चार नौसैनिक पोतों, जिनमें परमाणु-संचालित जहाज भी शामिल हो सकते हैं, को ठहराने की अनुमति दी गई है। यह समझौता 25 वर्षों के लिए होगा, जिसे स्वचालित रूप से हर 10 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा।

भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

रूस का यह कदम ऐसे समय में आया है जब उसकी सीरिया के टार्टस बंदरगाह पर दीर्घकालिक उपस्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। सूडान में नया ठिकाना रूस को लाल सागर क्षेत्र में एक वैकल्पिक रणनीतिक आधार देगा। इसके माध्यम से रूस न केवल पश्चिमी देशों के प्रभाव का संतुलन बना सकेगा, बल्कि अफ्रीका में अपने राजनयिक और सैन्य प्रभाव को भी व्यापक रूप देगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • रूस का नया नौसैनिक अड्डा पोर्ट सूडान के पास लाल सागर तट पर बनेगा।
  • समझौते के तहत 300 कर्मियों और चार नौसैनिक पोतों की तैनाती की अनुमति है।
  • यह समझौता 25 वर्षों के लिए है, जिसे हर 10 वर्ष में स्वतः नवीनीकृत किया जा सकेगा।
  • लाल सागर और स्वेज़ नहर मार्ग से दुनिया के लगभग 12% व्यापार का आवागमन होता है।

सूडान की आंतरिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय चिंताएँ

हालांकि यह समझौता दोनों देशों के लिए सामरिक रूप से लाभदायक है, लेकिन सूडान की राजनीतिक अस्थिरता और गृह संघर्ष इसके क्रियान्वयन को चुनौती दे सकते हैं। रूस का सूडान में प्रभाव जटिल है, क्योंकि वह कभी सूडानी सेना, तो कभी अर्धसैनिक समूहों के साथ संपर्क बनाए रखता है। इसके बावजूद, मॉस्को और खार्तूम दोनों ने इस समझौते को “पूरी तरह से अंतिम” बताया है।

Originally written on December 3, 2025 and last modified on December 3, 2025.

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