अफ्रीका में चावल की फसलों पर संकट: ‘राइस यलो मॉटल वायरस’ की पहचान, असर और समाधान

अफ्रीका में चावल की फसलों पर संकट: ‘राइस यलो मॉटल वायरस’ की पहचान, असर और समाधान

अफ्रीका के कई हिस्सों में कभी हरी-भरी चावल की फसलें अब पीली पड़ रही हैं, पैदावार घट रही है और किसान बढ़ती अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। इस संकट का केंद्र है ‘राइस यलो मॉटल वायरस’ (RYMV) — एक पौध रोग जो पिछले सौ वर्षों से अफ्रीका में चुपचाप फैल रहा है। 17 जून 2025 को प्रकाशित एक जीनोमिक अध्ययन में पहली बार इस वायरस के फैलाव का ऐतिहासिक और वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया।

वायरस का उद्गम और प्रसार

RYMV का आरंभ 1800 के दशक के मध्य में तंजानिया के ईस्टर्न आर्क पर्वतीय क्षेत्र से माना गया है, जहां यह जंगली घासों से चावल की फसलों तक फैला। इसके बाद व्यापार मार्गों, उपनिवेश कालीन गतिविधियों और युद्धकालीन आवागमन के जरिये यह वायरस पूरे महाद्वीप में फैला। 1970 के दशक तक यह मेडागास्कर भी पहुँच चुका था।

संक्रमण के स्रोत और तरीका

  • यह वायरस Oryza longistaminata, O. barthii, और O. glaberrima जैसी जंगली और खेती की गई घासों को संक्रमित करता है।
  • इसके फैलाव में चायटिंग बीटल्स (Chrysomelidae), टिड्डे, गाय, चूहे और गधे तक भूमिका निभाते हैं।
  • संक्रमित पौधों की जड़ें, सैप (रस), पानी और पौधों के आपसी संपर्क से भी यह वायरस फैलता है।
  • हालांकि यह बीजों में पाया गया है, लेकिन इसका बीजों द्वारा प्रसार सिद्ध नहीं हुआ है।

लक्षणों की पहचान

  • शुरुआती लक्षणों में युवा पत्तों पर पीले-हरे रंग के लम्बे धब्बे दिखते हैं।
  • ये धब्बे आगे चलकर पत्तियों की नसों के समानांतर पीली या नारंगी धारियों में बदल जाते हैं।
  • पत्तियाँ मुड़ जाती हैं, पौधे बौने रह जाते हैं, कल्ले कम बनते हैं, फूल और बीज कम लगते हैं और अंततः पौधा मर भी सकता है।

फसल पर प्रभाव

  • RYMV मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका के सिंचित चावल क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
  • फसल नुकसान 10% से 100% तक हो सकता है, विशेषकर जब संक्रमण शुरुआती अवस्था में होता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • RYMV केवल अफ्रीका तक सीमित है लेकिन इसका एक मामला तुर्की में भी पाया गया है।
  • यह वायरस Sobemovirus जीनस से संबंधित है, जो तेजी से उत्परिवर्तित हो सकता है।
  • अफ्रीका में चावल अब मक्का की जगह ले चुका है, खासकर पश्चिमी अफ्रीका में।
  • अफ्रीकी पारंपरिक चावल (O. glaberrima) में आधुनिक एशियाई किस्मों (O. sativa) की तुलना में अधिक प्रतिरोध पाया गया है।

समाधान और नियंत्रण के उपाय

  • प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग सबसे कारगर उपाय है; RYMV1 और RYMV2 नामक दो प्रमुख प्रतिरोध जीन ज्ञात हैं।
  • सिंक्रोनस रोपाई और फॉलो पीरियड को अपनाएं ताकि वायरस और उसके वाहक की संख्या कम हो।
  • फसल अवशेषों, संक्रमित पौधों और रैटून को जला दें या मिट्टी में मिला दें।
  • रोग के शुरुआती चरण में संक्रमित पौधों को उखाड़ कर नष्ट करें
  • नियमित निराई और कटाई के बाद भी खेत की सफाई करें ताकि वायरस का मुख्य स्रोत समाप्त किया जा सके।

भविष्य की दिशा

अध्ययन में क्षेत्रीय स्तर पर जीनोमिक निगरानी, बीज क्वारंटाइन नीति, और नई प्रतिरोधी किस्मों के विकास में त्वरित निवेश की सिफारिश की गई है। वैज्ञानिकों का जोर है कि संकट के बाद कार्रवाई करने की बजाय पहले से सुरक्षा उपायों को अपनाया जाए ताकि अफ्रीका की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस प्रकार, RYMV एक खतरनाक लेकिन नियंत्रित करने योग्य बीमारी है, बशर्ते वैज्ञानिक उपायों और जैव सुरक्षा नीतियों को प्राथमिकता दी जाए।

Originally written on June 21, 2025 and last modified on June 21, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *