अच्छी मानसून वर्षा से खेती में उछाल, लेकिन उर्वरक संकट ने बढ़ाई सरकार की चिंता

अच्छी मानसून वर्षा से खेती में उछाल, लेकिन उर्वरक संकट ने बढ़ाई सरकार की चिंता

भारत में इस वर्ष जून से अगस्त के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून ने सामान्य से 6.1% अधिक वर्षा दर्ज की है, जिससे खेती और फसल उत्पादन को सकारात्मक गति मिली है। पूरे देश में वर्षा समय पर और संतुलित ढंग से हुई, जिससे धान और मक्का जैसी खरीफ फसलों का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय रूप से बढ़ गया। परंतु, इस बढ़ती खेती के साथ-साथ उर्वरकों की मांग में आई तेजी ने आपूर्ति संकट को जन्म दिया है।

मानसून और खेती का सकारात्मक संबंध

  • जून में वर्षा: सामान्य से 8.9% अधिक
  • जुलाई में वर्षा: सामान्य से 4.8% अधिक
  • अगस्त में वर्षा: सामान्य से 5.5% अधिक
  • मई में भी सामान्य से 106.4% अधिक वर्षा हुई, जो मानसून पूर्व अवधि मानी जाती है।

देश के 36 मौसम विभागीय उपखंडों में से 33 में सामान्य या उससे अधिक वर्षा हुई। केवल बिहार, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में वर्षा कम रही।
धान का रकबा 420.4 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष से 7.6% अधिक है, जबकि मक्का का रकबा 11.7% बढ़कर 93.3 लाख हेक्टेयर हुआ।

उर्वरकों की बिक्री में तेज़ी

अच्छी वर्षा और खेतों में नमी की उपलब्धता के कारण किसानों ने अधिक उर्वरक खरीदे, जिनमें शामिल हैं:

  • यूरिया
  • सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP)
  • म्यूरिएट ऑफ पोटाश (MOP)
  • एनपीकेएस कॉम्प्लेक्स उर्वरक

एकमात्र DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की बिक्री में 12.8% की गिरावट आई, परंतु इसका कारण इसका विकल्पों की ओर रुझान है, जैसे कि:

  • 20:20:0:13 (20% नाइट्रोजन, 20% फॉस्फोरस)
  • SSP, जिसकी फॉस्फोरस मात्रा 16% होती है

आपूर्ति संकट और किसानों की परेशानी

बढ़ती मांग के बावजूद घरेलू उत्पादन और आयात में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई।

  • यूरिया का उत्पादन: 93.6 लाख टन (2025) बनाम 102.1 लाख टन (2024)
  • DAP का उत्पादन: स्थिर (13.7 लाख टन)
  • कॉम्प्लेक्स उर्वरक और SSP में थोड़ी वृद्धि

स्टॉक्स में भारी गिरावट:

  • यूरिया: 37.2 लाख टन (2025) बनाम 86.4 लाख टन (2024)
  • DAP, कॉम्प्लेक्स, MOP सभी में कमी
  • केवल SSP में थोड़ा-सा इज़ाफा

इसका परिणाम यह हुआ कि जुलाई-अगस्त में किसानों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा, विशेषकर जब धान और मक्का जैसे फसलों की पोषण ज़रूरतें अपने चरम पर होती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • DAP में 46% फॉस्फोरस, जबकि 20:20:0:13 में 20% और SSP में 16% होता है।
  • DAP और यूरिया की आपूर्ति में कमी मुख्यतः चीन से आपूर्ति में कमी के कारण हुई।
  • धान और मक्का उच्च नाइट्रोजन-खपत वाली फसलें हैं, जबकि सोयाबीन और दालें मिट्टी में नाइट्रोजन जोड़ती हैं।
  • 161 जलाशयों में 83.5% जल भंडारण — रबी सीजन में अच्छी सिंचाई की उम्मीद।

नीति सुझाव और आगे की रणनीति

अब जब खरीफ के लिए उर्वरकों की खपत समाप्ति की ओर है, रबी फसलों के लिए समय रहते उर्वरक भंडारण और आपूर्ति सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।

  • DAP को केवल धान और गेहूं तक सीमित करने की नीति अपनाई जा सकती है।
  • यूरिया की जगह अमोनियम सल्फेट को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिसमें 20.5% N और 23% S होता है।

इस वर्ष की अच्छी मानसून वर्षा ने खेती के लिए अवसर खोले हैं, लेकिन इसके साथ उर्वरक संकट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार को कृषि इनपुट की आपूर्ति नीति में सुधार लाने की आवश्यकता है, ताकि किसान अधिक उत्पादन कर सकें और आपूर्ति बाधाओं से परेशान न हों।

Originally written on September 1, 2025 and last modified on September 1, 2025.

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