अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की आठवीं सभा: सौर ऊर्जा से समावेशी विकास की ओर

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की आठवीं सभा: सौर ऊर्जा से समावेशी विकास की ओर

नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की आठवीं सभा का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया, जिसमें 120 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह आयोजन वैश्विक सौर ऊर्जा सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, जिसमें भारत की अग्रणी भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आई।

ISA: वैश्विक सौर सहयोग का प्रतीक

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि ISA के सदस्य देश आज विश्व की कुल सौर ऊर्जा का 40% उत्पादन करते हैं, जो एक गर्व की बात है। यह सभा केवल ऊर्जा की बात नहीं करती, बल्कि समावेशी विकास, स्वच्छ ऊर्जा तक समान पहुँच और जलवायु परिवर्तन से लड़ाई जैसे व्यापक उद्देश्यों को केंद्र में रखती है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने उद्घाटन सत्र में कहा कि सौर ऊर्जा केवल बिजली उत्पादन नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और सामाजिक समानता का भी माध्यम है। उन्होंने ISA को मानवता की साझा आकांक्षा का प्रतीक बताया, जो सौर ऊर्जा के माध्यम से गरिमा, समृद्धि और समावेशन की ओर अग्रसर है।

भारत की भूमिका और योजनाओं की सफलता

भारत ने अपनी प्रमुख योजनाओं जैसे पीएम कुसुम और पीएम सूर्य घर के माध्यम से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। अब तक 21 लाख पीएम सूर्यघर स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें से लगभग 48% उपभोक्ता को “शून्य बिजली बिल” मिल रहा है और कुछ लोग इससे आय भी अर्जित कर रहे हैं।
भारत का यह मॉडल अन्य विकासशील देशों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन चुका है। ISA के माध्यम से भारत अपने अनुभव और तकनीक को साझा कर वैश्विक ऊर्जा रूपांतरण में अहम भूमिका निभा रहा है।

जलवायु परिवर्तन और समावेशी नीति की आवश्यकता

राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन को मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए तात्कालिक और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने ऊर्जा न्याय को सामाजिक न्याय की नींव बताया और कहा कि सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा से समुदायों को सशक्त किया जा सकता है।
उन्होंने सभी सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे केवल अधोसंरचना नहीं, बल्कि आम जनजीवन को केंद्र में रखकर सौर ऊर्जा को रोजगार, महिला नेतृत्व, ग्रामीण आजीविका और डिजिटल समावेशन से जोड़ें।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना 2015 में भारत और फ्रांस की साझेदारी से हुई थी।
  • ISA का मुख्यालय भारत के गुरुग्राम में स्थित है।
  • ISA के सदस्य देशों की कुल संख्या 120 से अधिक है।
  • ISA का उद्देश्य सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और समावेश को बढ़ावा देना है।

ISA की आठवीं सभा केवल एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन नहीं, बल्कि एक साझा वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि सौर ऊर्जा के माध्यम से हम एक समावेशी, सतत और समान दुनिया की ओर बढ़ सकते हैं। भारत की पहलें इस परिवर्तन की अगुवाई कर रही हैं और आने वाले वर्षों में यह साझेदारी और भी गहराई लेगी।

Originally written on October 30, 2025 and last modified on October 30, 2025.

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