अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस 2025: बुद्ध विचार की गहराइयों को समझने की वैश्विक पहल

6–7 अक्टूबर 2025 को शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस आयोजन का संयोजन इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन (IBC), गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (GBU), अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान (लखनऊ) और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त सहयोग से किया गया।
इस अवसर पर “बौद्ध विचार को समझने में अभिधम्म की प्रासंगिकता: ग्रंथ, परंपरा और समकालीन दृष्टिकोण” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें भारत, म्यांमार, कम्बोडिया, वियतनाम और श्रीलंका से 35 से अधिक विद्वानों और शोधकर्ताओं ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
अभिधम्म: दर्शन, नैतिकता और मनोविज्ञान का संगम
सम्मेलन में अभिधम्म के दार्शनिक, नैतिक और मनोवैज्ञानिक आयामों पर चर्चा की गई और इसे आधुनिक विज्ञान — विशेष रूप से मनोविज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और संज्ञानात्मक अध्ययन — के साथ तुलनात्मक रूप से समझने के प्रयास किए गए। अभिधम्म को “धम्म का विशिष्ट प्रकाश” कहा गया, जो बुद्ध के गहन ज्ञान का दार्शनिक विस्तार है।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने अपने स्वागत भाषण में बुद्ध की शिक्षाओं के व्यक्तिगत और सामूहिक विकास में योगदान को रेखांकित किया। IBC के महासचिव शार्तसे खेनसुर जंगचुप छेदेन रिनपोछे ने पवित्र पाठों के उच्चारण के साथ अभिधम्म सूत्रों को समझने के महत्व पर प्रकाश डाला।
वक्ताओं की प्रमुख बातें और आयोजन की विशेषताएं
मुख्य वक्ता डॉ. उमा शंकर व्यास, जो पाली और संस्कृत के प्रतिष्ठित विद्वान हैं और राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त कर चुके हैं, ने अभिधम्म के विकास क्रम को “धम्म का विशेष प्रकाश” बताते हुए उसकी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता स्पष्ट की। मुख्य अतिथि HE 3rd खेंचेन रिनपोछे (ड्रीकुंग कग्यू परंपरा) ने कहा कि अभिधम्म का वास्तविक महत्व उसके व्यावहारिक जीवन में उपयोग से है, जो अज्ञान, आसक्ति और क्रोध जैसे मानसिक विकारों का उपाय बन सकता है।
IBC के महानिदेशक श्री अभिजीत हलदर ने अभिधम्म की समकालीन उपयोगिता को रेखांकित किया और मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य में इसके योगदान की चर्चा की।
प्रदर्शनी, फिल्में और सांस्कृतिक विरासत
इस आयोजन में विशेष और तकनीकी सत्रों के साथ-साथ कई प्रदर्शनियां भी आकर्षण का केंद्र रहीं:
- श्री विनोद कुमार (धारवाड़, कर्नाटक) द्वारा क्यूरेट की गई बौद्ध डाक टिकटों की प्रदर्शनी, जिसमें 90 देशों के 2,500 से अधिक टिकट शामिल थे।
- “बुद्ध धम्म ऑन बॉडी एंड माइंड” और पिपरावा अवशेषों पर आधारित दो विषयगत प्रदर्शनियाँ, जो बुद्ध की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करती हैं।
- दो वृत्तचित्रों का प्रदर्शन — “एशिया में बुद्ध धम्म का प्रसार” और “कुशोक बाकुला रिनपोछे – एक असाधारण भिक्षु की असाधारण कहानी”, जिनका निर्देशन डॉ. हिंदोल सेनगुप्ता (ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी) द्वारा किया गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस हर वर्ष शरद पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब बुद्ध ने तावतिंसा स्वर्ग में अपनी माता महामाया सहित देवताओं को अभिधम्म उपदेश दिया था।
- वर्ष 2025 के आयोजन में 5 देशों के 35 से अधिक विद्वानों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
- भारत सरकार ने पाली भाषा को “शास्त्रीय भाषा” घोषित किया है, जो थेरवाद बौद्ध ग्रंथों, विशेषकर अभिधम्म पिटक, की मूल भाषा है।
- सम्मेलन में अभिधम्म की तुलना मनोविज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संज्ञानात्मक विज्ञान से की गई।