अंटार्कटिक आइस शीट: समुद्र स्तर वृद्धि की ओर एक अपरिवर्तनीय मोड़

हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अंटार्कटिक आइस शीट, विशेष रूप से पश्चिम अंटार्कटिका, संभवतः एक ऐसे “टिपिंग पॉइंट” पर पहुंच गई है, जहां से इसका पिघलना अपरिवर्तनीय हो सकता है। यह स्थिति “हिस्टेरेसिस” कहलाती है, जिसमें एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद, वह अपने आप जारी रहती है, भले ही मूल कारण हटा दिया जाए।
समुद्र स्तर में संभावित वृद्धि
अध्ययन में पाया गया है कि वर्तमान महासागर तापमान स्तरों पर भी, पश्चिम अंटार्कटिक आइस शीट का पिघलना जारी रह सकता है, जिससे समुद्र स्तर में लगभग 4 मीटर की वृद्धि हो सकती है। यह वृद्धि तटीय समुदायों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है।
पिघलने के पीछे का कारण
अंटार्कटिका के आसपास के महासागरों का गर्म होना, विशेष रूप से पश्चिम अंटार्कटिका में, आइस शीट के पिघलने का मुख्य कारण है। गर्म समुद्री जल आइस शीट के आधार में घुसपैठ करता है, जिससे बर्फ की स्थिरता कम होती है और पिघलने की प्रक्रिया तेज होती है।
भविष्य की चेतावनी
वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि वर्तमान उत्सर्जन दरें जारी रहीं, तो अंटार्कटिक आइस शीट का पिघलना अपरिवर्तनीय हो सकता है। हालांकि, यदि त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की जाए, तो इस प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- हिस्टेरेसिस: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी प्रणाली की प्रतिक्रिया उसके वर्तमान इनपुट पर निर्भर नहीं होती, बल्कि उसके पिछले इनपुट्स पर निर्भर करती है। अंटार्कटिक आइस शीट के संदर्भ में, एक बार पिघलने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, वह अपने आप जारी रह सकती है, भले ही तापमान कम हो जाए।
- पश्चिम अंटार्कटिक आइस शीट: यह आइस शीट समुद्र तल से नीचे स्थित है, जिससे यह समुद्री जल के गर्म होने के प्रति अधिक संवेदनशील है। इसका पूर्ण पिघलना समुद्र स्तर में लगभग 3.3 मीटर की वृद्धि कर सकता है।
- पूर्व अंटार्कटिक आइस शीट: यह आइस शीट अधिक स्थिर मानी जाती है, लेकिन इसके कुछ हिस्से, जैसे कि विल्क्स बेसिन, समुद्र तल से नीचे स्थित हैं और उच्च तापमान पर पिघलने की संभावना रखते हैं।
- समुद्र स्तर में वृद्धि: अंटार्कटिक आइस शीट के पिघलने से वैश्विक समुद्र स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़, भूमि क्षरण और अन्य पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अंटार्कटिक आइस शीट का पिघलना वैश्विक जलवायु परिवर्तन के सबसे गंभीर परिणामों में से एक है। यह न केवल समुद्र स्तर में वृद्धि का कारण बन सकता है, बल्कि वैश्विक मौसम पैटर्न, समुद्री धाराओं और पारिस्थितिक तंत्रों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करें, जैसे कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना, ताकि इस संकट को रोका जा सके और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।