अंटार्कटिका के लिए 40वाँ भारतीय वैज्ञानिक अभियान लांच किया गया

अंटार्कटिका के लिए 40वाँ भारतीय वैज्ञानिक अभियान लांच किया गया

भारत सरकार ने हाल ही में अंटार्कटिका के लिए 40वां भारतीय वैज्ञानिक अभियान लांच किया। यह अभियान पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा लांच की गया है। इस अभियान के लिए आइस क्लास वेसल एमवी वासिली गोलोविन (Ice Class Vessel MV Vasiliy Golovin) को तैनात किया गया है।

मुख्य बिंदु

इस अभियान के तहत 40 सदस्यों की एक टीम अंटार्कटिका भेजी जाएगी और यह अप्रैल 2021 तक वापस आ जाएगी। कोविड-19 की मौजूदा चुनौतियों के कारण भारत का यह अंटार्कटिका अभियान सीमित है।

अंटार्कटिका के लिए भारतीय वैज्ञानिक अभियान की शुरुआत 1981 में हुई थी। अंटार्कटिका में भारतीय अनुसंधान बेस स्टेशनों के नाम दक्षिण गंगोत्री, भारती, मैत्री हैं।

दक्षिण गंगोत्री

यह 1983 में बना भारत का पहला स्थाई बेस है। इसकी खुदाई 1989 में की गई थी और इसका इस्तेमाल आपूर्ति और पारगमन शिविर के रूप में किया जा रहा है।

मैत्री

यह अंटार्कटिका में भारत का दूसरा स्थाई बेस है। यह स्टेशन प्रियदर्शनी झील के करीब स्थित है।

भारती

इसकी स्थापना 2015 में की गयी थी। यह भारतीय उपमहाद्वीप के 120 मिलियन वर्ष पुराने प्राचीन इतिहास को प्रकट करने के लिए कॉन्टिनेंटल ब्रेक अप के साक्ष्य एकत्र करेगा।

अंटार्कटिका में भारतीय अनुसंधान बेस स्टेशनों का प्रबंधन गोवा में स्थित ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय केंद्र करता है।

अंटार्कटिक संधि

इस संधि पर 1961 में हस्ताक्षर किए गए थे। वर्तमान में संधि में 54 हस्ताक्षरकर्ता हैं। यह एक हथियार नियंत्रण संधि है जिसे शीत युद्ध के दौरान हस्ताक्षरित किया गया था। अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद 1981 में भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम शुरू किया गया था।

Originally written on January 5, 2021 and last modified on January 5, 2021.

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