उवसग्गहरं स्तोत्र तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की स्तुति है। इसे आचार्य भद्रबाहु ने ईस्वी सन् 2वीं से 4वीं शताब्दी के बीच रचा था। माना जाता है कि पूर्ण श्रद्धा से इसका जाप करने से बाधाएं, कष्ट और दुख दूर होते हैं।
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