गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद प्रमुखता प्राप्त करने वाला एक महत्वपूर्ण शासक परिवार पुष्यभूति वंश था जिनकी राजधानी थानेसर (कुरुक्षेत्र में थानेश्वर) थी। यह वंश प्रभाकरवर्धन के शासन में प्रभावशाली बन गया जिन्होंने हूणों को पराजित कर पंजाब और हरियाणा के क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत की। उनकी मृत्यु के बाद उनके बड़े पुत्र राज्यवर्धन सिंहासन पर बैठे लेकिन उन्हें बंगाल और बिहार के राजा शशांक ने धोखे से मार दिया। इसके बाद हर्षवर्धन ने 606 ईस्वी में सिंहासन संभाला। उस समय उनकी उम्र केवल 16 वर्ष थी फिर भी उन्होंने खुद को एक महान योद्धा और कुशल प्रशासक साबित किया।
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