पंजाब पर कब्जे के बाद, मोहम्मद गोरी ने राजपूतों के खिलाफ अपने अभियानों का केंद्र लाहौर को बनाया। दिल्ली और अजमेर के शासक पृथ्वीराज चौहान को चुनौती देने से पहले उन्होंने तीन वर्षों तक व्यापक तैयारी की। 1189 में, उन्होंने तबरहिंद (भटिंडा) पर कब्जा कर लिया। इसके बाद तराइन की पहली लड़ाई हुई, जिसमें घुरिद सेना पराजित हुई और मोहम्मद गोरी स्वयं घायल हो गए। हालांकि, एक खलजी सैनिक ने उन्हें कंधे पर उठाकर बचा लिया। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के भाई गोविंद राय ने अहम भूमिका निभाई थी।
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